दूसरा चरण
पिछले चरण मैं मैंने आपको अपने परिवार से मिलवाया था आज में आप को जहाँ मेरा बचपन बिता वहां ले चलता हूँ , अब में तीन साल का हो गया हूँ, मेरा बचपन जबलपुर के गढ़ाफाटक इलाका में बिता, यहाँ के तिराहे पे एक और मेरा घर और दूसरी तरफ हमारी दुकान है, इसी इलाका में मै खेला कूदा, यहाँ की गलियों में मेरा बचपन बिता मेरे बचपन के दोस्त यार सब इसी स्थान में रहते हैं।
मै इस कहानी में अभी तीन साल का हूँ मुझे ज्यादा समझ नहीं है लेकिन कुछ धुंधली सी यादें बचपन की हर किसी को याद होती हैं, वैसी ही एक याद मेरे साथ भी है, हमारे दादा जी घर के सबसे निचे सड़क से लगे हुए कमरे मैं बैठा करते थे मै जब भी खेलते हुए वहां से निकलता वो अपनी छड़ी मै मेरी कमीज को फसा लेते और मुझे अपनी तरफ खिंच के मेरे साथ खेलते, हमारे दादा जी से घर के सरे लोग डरते थे क्योंकि वो घर के सबसे बड़े थे लेकिन वो सबसे बोहोत प्यार करते थे, और शायद जिसे मैं डर कह रहा हूँ वो उनके लिए सबका आदर भाव था, मेरी दादा जी के साथ बोहोत काम यादे है क्योंकि मेरे बचपन में ही दादा जी हमें छोड़कर इस दुनिया से चले गए थे, लेकिन उनकी वो यादें आज भी मेरे साथ हैं, मेरे बड़े पिता जी (मेरे पिता के सबसे बड़े भाई ) जब भी उनकी कहानी सुनते हैं मुझे एक ऊर्जा मिलती है की इस दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है।
में आज आपको अपने दादा जी की एक कहानी सुनाता हूँ जो मुझे मेरे बड़े पिता जी ने सुनाई थी, हमारे दादा जी दो भाई थे जो काम के लिए सफर करते थे वो मिठाइयां टोकरी में रखकर अलग अलग जगह बेचा करते थे।
एक दिन दुकान के मालिक ने दोनों को बुलाया और बोले की मुझे अपने पैत्रिक गांव जाना पड़ेगा मेरी माँ की तबियत ख़राब है उन्होंने कहा मैं जब तक वापस नहीं आता तुम लोग ये दुकान चलाओ और वो ये बोलकर दुकान उन दोनों के हवाले कर कर चले गए दोनों भाईयों ने दुकान को उसी तरह चलना जारी रखा, काफी समय बीतने के बाद भी दुकान के मालिक वापस नहीं आए लेकिन दोनों भाइयों ने मिलके दुकान का काम आगे बढ़ाया।
लगभग दो साल के बाद दुकान के मालिक वापस आए और दुकान को चलता देखकर हैरान रह गए उनको यकीन नहीं हुआ की दुकान अभी भी चालू होगी उन्होंने दादा जी से पुछा काम केसा चल रहा है दादा जी उनको देख कर बोले मालिक आप आ गई दुकान का काम बोहोत बढ़ गया है और हम दोनों उसे अच्छे से चला रहे हैं, फिर दादा जी ने मालिक को दुकान की चाबी दी और दो साल में कमाया सारा पैसा दिया तभी मालिक ने दादा जी को उनका मेहनताना दिया और उनसे बोलै की ये दुकान में अब नहीं चला पाउँगा मुझे गांव वापस जाना है एक काम करो ये दुकान तुम रख लो दादा जी ने हैरानी से उनको देखा और बोले ये आप क्या कह रहे हैं, मालिक बोले में सच कह रहा हूँ ये दुकान अब तुम रख लो दादा जी ने कहा में ये दुकान नहीं रख सकता लेकिन आप को अगर ये दुकान नहीं रखना है तो मे आप से इस दुकान को आप के दिए मेहनताने से खरीद लेता हूँ दादा जी की ये बात सुनकर मालिक बोहोत खुश हुए और उन्होंने दुकान और दुकान का पूरा सामान दादा जी को उसी मेहनताने में दे दिया और वहां से चले गए यह सिर्फ एक शुरुवात थी।
इस कहानी से मैंने जो सीखा वो मेरी जीवन यात्रा में बोहोत महत्त्व रखता है, इस चरण में जो मैंने आप को बताया ये भी एक शुरुवात है ऐसी कई रोमांचक कहानियां हैं मेरी जीवन की कड़ी में।
अगले चरण में मै आप को अपने मोहोल के दोस्तों और अपनी बचपन की मस्ती के बारे में बताऊंगा तो बने रहें मेरे साथ।
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English translation
Second stage
In the last phase, I introduced you to my family, today I take you to where I spent my childhood, now I am three years old, I spent my childhood in Gadhafatak locality of Jabalpur, there is another house at Tirahe and On the other side is our shop, I played in this mohole, I jumped, spent my childhood in the streets here, my childhood friend, everybody lives in this locality.
I am three years old now in this story. I do not understand much but everyone remembers some blurred memories of childhood, I remember the same with me, in the room next to the road below our grandfather's house. Whenever I used to sit, I used to grab my shirt in my stick and pull it towards me and play with me. Loved so much, And perhaps what I am afraid of was the respect for everyone, I have remembered a lot of work with my grandfather because in my childhood, my grandfather left us and left this world, but those memories are still with me, My elder father (my father's eldest brother) whenever I hear his story I get an energy that nothing is impossible in this world.
Today I tell you a story of my grandfather, which was told to me by my elder father, our grandfather was two brothers who used to travel for work, they used to keep sweets in different baskets and sell them in different places.
A lot of time passed while doing the same work. Then one day Grandpa and his younger brother went to a shop to ask for work. It was a sweet shop. Grandpa got the job of making sweets there. Both books got together to work in that shop. It took two years every morning and started working in the shop, this trend continued for two years.
One day the owner of the shop called both of them and said that I have to go to my native village. My mother is ill, The two brothers continued to run the shop in the same way, the owners of the shop did not come back even after a long time, but the two brothers together carried on the work of the shop.
After about two years, the owners of the shop came back and were surprised to see that the shop was running, they could not believe that the shop would still be working. They asked to Grandpa how the work is going. The work has increased a lot and we are both running it well, Then Dadaji gave the owner the key of the shop and gave all the money he earned in two years, then the owner gave his wages to Dadaji and told him that I will not be able to run in this shop, I have to go back to the village, do a job, keep this shop Dada looked at him with surprise and said what are you saying, The owner said, I am telling the truth, now you keep this shop. Grandpa said that I cannot keep this shop, but if you do not have to keep this shop, then I will buy this shop from you due to your remuneration. On hearing this, the owner was very happy and he gave the entire goods of the shop and the shop to the grandfather for the same amount of money and went away, it was just a beginning.
What I learned from this story is very important in my life journey, what I told you at this stage is also a beginning. There are many exciting stories in my life.
In the next phase, I will tell you about my friends from locality and my childhood fun, so stay with me.
It's amazing 😍
ReplyDeleteThanks for you precious comment
Delete👌🏻👌🏻👍🏻
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