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एक जीवन यात्रा (तीसरा चरण )

तीसरा चरण 
मेरे पहले दो चरणों में आप ने मरे परिवार और मेरे बचपन के बारे मैं जाना आज में आप को मेरे मोहोले के कुछ दोस्तों से मिलवाता हूँ मेरे दोस्त भी वैसे ही हैं जैसे सबके बचपन के दोस्त होते हैं लेकिन हर दोस्त की एक खास बात होती है, मेरे बचपन में हम सब कंचों (कांच की गोलियां ), भावरा (लट्टू ), गिल्ली डंडा, और क्रिकेट खेला करते थे, और ये सब हम खेलते थे रोड पर


आइये आपको मिलवाता हूँ मेरे पहले दोस्त से। मेरे पहले दोस्त का नाम है गुड्डा दिखने में गुड्डा एकदम दुबला पतला, उसका रंग गेहुँआ, बोहोत धीरे बात करने वाला, उसके पिता की पान की दुकान है और वो मेरे बगल वाले माकन में रहता है, गुड्डा की एक खास बात यह है की वो कभी नाराज नहीं होता, मेरा दूसरा दोस्त हल्लू ये भी दुबला पतला गेहुँए रंग वाला लेकिन विचित्र प्राणी ये हर छोटी बात पे नाराज होता है, हल्लू हमारे घर के ठीक सामने रहता है 


मेरा तीसरा दोस्त जित्तू सेहत में अच्छा भरा हुआ शरीर गोल चेहरा और हम सब के बिच में सबसे बड़ा हम सब साथ में बड़े हुए बोहोत मस्तियाँ की लोगों को परेशान किया सबने साथ मैं मार भी खाई लेकिन बचपन तो बचपन होता है हम सब की बचपन की ढेर सारी कहानियां है जो हम कभी नहीं भूलते कुछ हंसती हैं और कुछ रुलाती हैं लेकिन मई आज आपको एक बेहद हँसाने वाली कहानी सुनाता हूँ। 


हमारे मोहोले में ढेर सारी गलियां हैं और हम इन गलियों मई लुका छिपी खेलते थे हमारे लिए इस खेल मैं जगह का कोई दायरा नहीं था कोई भी कहीं भी जा के छिप सकता था और हम लोग जब खेलते तो आस पास के सरे बच्चे खेलने आ जाते हम थोड़े शरारती थे इसलिए लोग अपने बच्चों को हमारे साथ खेलने के लिए मन करते थे लेकिन बच्चे कहाँ सुनते हैं 


खेर एक दिन हम सब ने लुका छिपी का खेल चालू किया खेल का रूल तो सबको पता ही है एक खिलाड़ी ढूंढेगा और बाकि सारे छुपेंगे, इस बार ढूंढ़ने की बरी थी गुड्डा की और हम सब छुपने के लिए भागे और सब अलग अलग जगह पर छुप गए मै और जित्तू एक ही जगह पर छुपे हुए थे, एक दो मंजिल का माकन जो रोड पर आगे की तरफ था उसके दरवाजे की आढ़ में छुपकर हम दोनों बैठे थे तभी मेरे और जित्तू के दिमाग में एक खुराफात आई


हम दोनों ने उस घर की घंटी बजाई और वहां से भाग कर दूसरी जगह छुप गए, कुछ देर बाद उस घर की दूसरी मंजिल से आवाज आई कौन है, किसी ने जवाब नहीं दिया फिर थोड़ी और देर के बाद वहां से गुड्डा निकल गया और हम दोनों ने वापस उसी घर में जाके फिर से घंटी बजाई और भाग गए


ये सिलसिला कई बार चला और उस घर मैं रहने वाले अंकल परेशान हो गए, उन्होंने अब घंटी बजने वाले का इंतज़ार शुरू कर दिया हम दोनों अपनी मस्ती मैं वहां फिर पोहोंच गए और इस बार अंकल ने पहले से ही प्लानिंग कर रखी थी उन्होंने हमें यह पता ही नहीं चलने दिया की वो ऊपर खड़े हो कर देख रहे हैं हमने घंटी फिर बजाई और अंकल ने ऊपर से पानी से भरी बाल्टी हमारे ऊपर पलटा दी हम वहां से दूर उछले तभी वहां गुड्डा आ गया और सारा पानी गुड्डा के ऊपर गिरा हम दोनों वहां से भाग कर घर आ गए लेकिन बिचारा गुड्डा वहां फस गया और वो उन अंकल को हमारे घर ले आया उसके बाद जो हुआ वो आप सब को पता है। 
 

ये तो हमारे बचपन की सिर्फ एक शरारत से भरी कहानी है ऐसी नाजाने कितनी ही मस्ती भरी कहानिया हैं, अगले चरण में मै आपको अपने कुछ स्कूल के दोस्तों से मिलवाऊंगा और अपने स्कूल से भी। 

अगर आपको मेरे मोहोले दे दोस्तों की ओर कहानियां सुन्नी हैं तो कमेंट करके बताएं और आगे की कहानियों के लिए बने रहे मेरे साथ। 

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English translation

Third step
 
In my first two phases, I came to know about my family and my childhood, today I introduce you to some of my friends of Mohola. My friends are the same as everyone has childhood friends but every friend has a special thing, In my childhood we all used to play Kancha (glass Balls), Bhavra (Lattu), Gilli Danda, and cricket, and all these we used to play on the road.


Let me introduce you to my first friend. My first friend's name is Gudda, Gudda is very thin in appearance, his color is wheat, he speaks very slowly, his father has a paan shop and he lives in house next to me, a special thing about Gudda is that Never get angry, my other friend Hallu is also thin skinny wheat colored but strange creature is angry at every little thing, Hallu lives right in front of our house. 


My third friend, Jittu, a well-filled body in health, round face and the biggest among all of us, we all grew up together, but childhood is childhood. There are a lot of stories that we never forget, some gives laugh and some gives you cry, but I tell you a very laughable story today. 


There are a lot of lanes in our street and we used to play hide and seek in these streets, there was no boundation of place for us in this game, anyone could go and hide anywhere and when we used to play, all the kids around would come to play We were kinda naughty so people used to mind their children to play with us but where do children listen. 


anyway one day we all started the game of hide and seek, the rule of the game is that everyone knows one player has to find and all the others will hide. this time gudda has to find.  Me and Jittu were hiding in the same place, a two-floor house which was facing forward on the road, hidden in the middle of the door of both of us, then me and Jittu had a panic in our mind.


We both rang the bell of that house and ran away from there and hid it elsewhere, after some time, who is the voice coming from the second floor of that house, no one replied, then after a while, Gudda left and we two went back to the same house and rang the bell again and fled


This trend went on many times and Uncle living in that house got upset, now he started waiting for the bell-ringer, both of us had our fun there again, and this time Uncle had already planned this for us. Did not even know that they are standing above and watching, we rang the bell again and Uncle turned the bucket full of water on us. We leapt away from there and then Gudda came there and all the water fell on Gudda. we ran away from there and came home, but innocent Gudda got trapped there and he brought those uncle to our house, after that you know what happened. 
 

This is just a mischievous story of our childhood. There are so many fun stories like this, in the next phase I will introduce you to some of my school friends and also to my school. 

If you want more stories on my locality friends, then comment and tell and stay with me for further stories. 

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